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जेपी अस्पताल ने पेश किये किडनी ट्रांसप्लांट के सफल इलाज

पुरुषों ने बदला रूढ़ियों को, पत्नियों को दी किडनी जेपी अस्पताल में
जेपी अस्पताल ने पेश किये किडनी ट्रांसप्लांट के सफल इलाज, 2 प्रमुख केसेस में पुरुषों ने दी पत्नियों को किडनी
 
आगरा! 20 नवम्बर, 2019, आगराः हमारे देश में अंगदान के मामले में भी स्त्रियों के प्रति होने वाला भेदभाव साफ़ दिखाई देता है। एक स्टडी के अनुसार पति पत्नी के कुल अंगदान के मामलों में तकरीबन 90 फ़ीसदी महिलाओं ने परिवार के पुरुष सदस्यों को किडनी दान की, जबकि डोनर के रूप में यहाँ पुरुषों का केवल 10 फ़ीसदी ही हिस्सा है। यहाँ यह बिल्कुल सच है कि समाज के कुछ तबकों में परिवार में किसी के गंभीर रूप से बीमार होने पर महिला सदस्यों पर अंगदान करने के लिए विशेष रूप से दबाव बनाया जाता है। ऐसे समय में ये दोनों पुरुष  आदर्श पति होने का उदाहरण पेश करते हैं जिन्होंने जेपी अस्पताल में अपनी पत्नियों को अपनी किडनी दान की।
कुछ महीनों पहले 42 वर्षीय मोहिनी को गंभीर हालत में जेपी अस्पताल लाया गया, वे बीते कई वर्षों से हाई बीपी की मरीज़ थीं, जिसकी वजह से उनका किडनी फेलियर हो गया। डायलिसिस से बचाने और वापस सामान्य ज़िन्दगी में लौटाने के लिए ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय था। उनके 45 वर्षीय पति सतेन्द्र बिना किसी झिझक के अपनी किडनी उनको देने को तैयार हो गए। यह ट्रांसप्लांट जटिल था, क्योंकि दोनों पति पत्नी का ब्लड ग्रुप अलग अलग था। मोहिनी का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव था जबकि उनके पति सतेंद्र का ए पॉजिटिव था। “हाई रिजेक्शन रेट” के कारण ऐसे ट्रान्स्प्लान्ट जटिल होते हैं। ऐसे में अनुभवी डॉक्टर विजय कुमार सिन्हा और उनकी टीम ने जटिलताओं से भरे इस ट्रांसप्लांट को सफल बनाया। अब मोहिनी सामान्य ज़िन्दगी जी रहीं हैं। किडनी ट्रांसप्लांट के ही एक दूसरे केस में 57 वर्षीय कमलादेवी की डायबिटीज बिगड़ जाने के कारण किडनी फेल हो गईं, उन्हें भी किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी जिसके लिए उनके 68 वर्षीय पति प्रकाश चंद ने अपनी किडनी उनको दी। यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि किडनी ट्रांसप्लांट के नियमों के अनुसार यह उम्र ट्रांसप्लांट के लिहाज से बहुत नाज़ुक मानी जाती है, क्योंकि बढ़ती उम्र में शरीर के संचालन में भी फर्क आता है। लेकिन डॉक्टर विजय कुमार सिन्हा के अनुसार वे न केवल बहुत फिट थे बल्कि ट्रांसप्लांट की प्रकिया के लिए भी शारीरिक रूप से तैयार थे। साथ ही रामनाथ और ओमप्रकाश ने भी अपने अपने किडनी ट्रांसप्लांट के सफल इलाज की कहानी बयान की।
डॉक्टर विजय कुमार सिन्हा, सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ़ नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, जेपी अस्पताल, नोएडा ने कहा कि, “किडनी फेल होने के प्रमुख कारणों में डायबिटीज और हाई बीपी, किडनी में पथरी जिनका इलाज न हुआ हो, दवाइयों के खासकर पेन किलर्स के साइड इफेक्ट्स हैं। यदि किडनी फेलियर की बात करें तो निश्चित रूप से किडनी ट्रान्स्प्लान्ट सबसे अच्छा विकल्प होता है। यहाँ आंकड़ों के अनुसार 90 फ़ीसदी लिविंग डोनर्स महिलाएं हैं, जिनमें से अधिकतर मरीज़ की पत्नियां, माएं और बहन हैं जबकि पुरुष केवल 10 फ़ीसदी ही किडनी डोनर हैं। यह आंकड़ा हमारे देश की मानसिक स्थिति की ओर इशारा करता है। हम सभी जानते हैं कि समाज के कुछ तबकों में परिवार की महिला सदस्य पर अलग से दबाव बनाया जाता है।”  
वे आगे कहते हैं कि, “यहाँ जेपी अस्पताल में जिन पुरुषों ने अपनी जीवनसाथियों को किडनी दी है वे निश्चित रूप से आदर व सम्मान के हकदार हैं, वह भी ऐसे दौर में जब पुरुषवादी मानसिकता समाज में इस कदर हावी है। हम सब को मृत्यु पश्चात् ऑर्गन डोनेशन का प्रण लेना चाहिए ताकि लिविंग डोनर की संख्या कम हो सके और ज़रुरतमंदों को ऑर्गन मिल सकें। आज के युग में ट्रांसप्लांट की प्रकिया पहले से ज़्यादा आसान और सुरक्षित हो चुकी है। समाज में सभी लोगों को अपने परिवार में ज़रूरत पड़ने पर बिना किसी भेदभाव के सामान रूप से अंगदान में भागीदारी पेश करनी चाहिए।”
जैसा कि डॉक्टर विजय कुमार सिन्हा कहते हैं हम सभी को ऑर्गन डोनेशन का प्रण लेना चाहिए। साथ ही यह भी समझना होगा कि किडनी, हृदय और लिवर शरीर के बहुमूल्य अंगों में से हैं। स्वस्थ जीवन जीने के लिए इनका सुचारू रूप से संचालित होना बेहद ज़रूरी है। पेशाब करने में दिक्कत होना, चेहरे पर सूजन आना, पैरों में सूजन आना, फ्लेंक पेन आदि ऐसी स्थितियां हैं जिनको किसी भी दशा में नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री पर नज़र डालनी चाहिए और उसी अनुसार अपनी जांच करवानी चाहिए क्योंकि बहुत सी बीमारियां अनुवांशिक कारणों से भी होती हैं जिनकी परिणति ऑर्गन फेलियर में होती है। 
यह भी समझना होगा कि अनियमित जीवनशैली के अलावा शराब का सेवन, धूम्रपान भी इस दुखद आंकड़े के ज़िम्मेदार रहे हैं। इसलिए बीते लम्बे समय से पूरे देश ने इस दिशा में दुखद बदलाव देखे हैं। ऐसे में इस विषय में बहुत जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है। 
जागरूकता फ़ैलाने और सर्वश्रेष्ठ इलाज की सेवाएँ देने के उद्देश्य से जेपी अस्पताल समय समय पर मुफ्त जांच शिविर और जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन करवाता रहता है।

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